आसमान नीला क्यों होता है? Asamaan Neela Kyo Hota Hai

सूर्य के प्रकाश और वायुमंडल में मौजूद धूल के कारण आसमान नीला दिखाई पड़ता है ।
रायलीघ 'स लॉ ऑफ़ स्कैटरिंग
स्कैटरिंग = 1 / वेवलेंथ (1/λ), यानी की जितनी कम वेवलेंथ उतनी ज्यादा स्कैटरिंग (और फैलाव)
परिचय
जैसा कि हम सब जानते हैं कि पृथ्वी और बाकी सभी ग्रह आसमान में मौजूद है । कहने को तो हमें आसमान का रंग नीला, पीला, संतरी, अर्थात कई रंगों में दिखता है । जैसे-जैसे सूर्य उदय होता है और सूर्यास्त होता है वैसे वैसे आसमान में कई रंग बदलते हैं । लेकिन पृथ्वी के चारों ओर हो रही प्रक्रियाएं और यहां तक कि पृथ्वी का घूमना इन सभी बातों के पीछे कोई ना कोई साइंस से जुड़ा एक कारण मौजूद है ।
आपने कई बार देखा होगा कि धरती की सतह के ऊपर जो भी हिस्सा मौजूद है उसे हम आम भाषा में आसमान कहते हैं । यह अपने आप में एक समझने वाली बात है कि आसमान कैसा होता है । आसमान में वायु मंडल और बाहरी अंतरिक्ष मंडल मौजूद होता है । जब आसमान में बादल छाए होते हैं तो कभी वह काला, सफेद, भूरा, केसरी, आदि रंगों का दिखाई देता है । लेकिन इन सब के पीछे कोई ना कोई कारण है ।
आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि आसमान नीला क्यों दिखाई देता है । हमारे इस लेख को पढ़कर आप यह भी समझेंगे कि जैसे-जैसे सूर्यास्त होता है और सूर्या उदय होता है वैसे वैसे आसमान में कई रंग बदलते हैं । हालांकि आसमान का रंग एक ही है (अस्तित्व में) और वह रंग कभी असल में बदलता ही नहीं ।
आसमान नीला क्यों होता है अर्थात इसके पीछे की वजह क्या है?
आसमान के नीले रंग के पीछे सबसे बड़ा कारण है - वायुमंडल । आसमान में कई सूक्ष्म पदार्थ मौजूद है और आसमान के नीले रंग के पीछे सूर्य तथा वायुमंडल दोनों का ही योगदान माना जाता है । वायुमंडल में कई प्रकार के तत्व, हवाएं, कण, और विभिन्न प्रकार की गैस मौजूद है। जैसे-जैसे सूर्य उदय होता है अर्थात पृथ्वी अपनी चरम सीमा पर होती है सूर्य की किरणें वायुमंडल से गुजरती हुई, वायुमंडल में मौजूद कणों से होती हुई, पृथ्वी तक पहुंचती है । इन्हीं कणों के कारण पृथ्वी पर और आकाश में सूर्य की किरणें फैल जाती हैं । जैसे-जैसे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचता है वह गैस, अन्य पदार्थ, कणों आदि के कारण बिखरता हुआ कई तरह के रंग दिखाता है जैसे कि बैंगनी, और नीला रंग । वहीं दूसरी और नीला रंग बहुत ज्यादा बिखर जाता है जिसके कारण आसमान हम मनुष्यों को (पृथ्वी से) नीला दिखाई देता है ।
कभी अगर आप ध्यान से देखें तो सूर्योदय और सूर्यास्त होने के बीच आपको आसमान में अलग-अलग तरह के रंग दिखाई देंगे जैसे कि बैंगनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल । इतने रंगों में बिखरने के बाद भी हमें सूर्य की किरणें और कणों के कारण आसमान केवल नीला ही दिखाई देता है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वायुमंडल में बहुत सी धूल और कण मौजूद है । धूल और कणों से गुजरती हुई सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पहुंचते हैं तो हमें आसमान नीला दिखाई देता है । इसके पीछे मुख्य कारण यह भी है कि नीले रंग की वेवलेंथ बहुत कम होती है जिसके कारण वह वायुमंडल में पूरी तरह बिखर जाती है और पूरा आसमान नीला पड़ जाता है ।
क्या हो अगर वायुमंडल में धूल और कण ना हो?
यदि पृथ्वी की सतह के ऊपर वायुमंडल ना हो और उसमें मौजूद कण, धूल, गैस आदि मौजूद ना हो, तो हो सकता है कि हमें आसमान काला दिखाई दे । वहीं दूसरी और देखा जाए तो आसमान में वायुमंडल का अभाव है अर्थात आसमान में वायुमंडल मौजूद नहीं है । यही कारण है कि जब आप अंतरिक्ष में जाते हैं तो आपको वायुमंडल ना होने के कारण आसमान एकदम काला दिखाई देता है ।
यदि आप अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखेंगे तो आपको पृथ्वी नीली दिखाई पड़ेगी । कुछ लोगों का कहना है कि यही कारण पृथ्वी पर भी पड़ता है । कहने का अर्थ है कि जैसे हमें (पृथ्वी पर रहने वालों को) आसमान नीला दिखाई देता है उसी प्रकार यदि हम अंतरिक्ष में जाएं तो हमें पृथ्वी नीली दिखाई पड़ेगी। परंतु ऐसा नहीं है अंतरिक्ष से पृथ्वी का नीला दिखना पृथ्वी का वातावरण नहीं बल्कि पृथ्वी पर मौजूद समुंद्र है । पृथ्वी पर कम से कम 70% भाग समुद्र से ढका हुआ है जिस कारण अंतरिक्ष से पृथ्वी नीली दिखाई पड़ती है ।
आसमान नीला क्यों होता है? विस्तार
आसमान हमें नीला क्यों दिखाई देता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले जानिए कि आसमान में बिखरते रंग कौन-कौन से हैं । आसमान में कुल मिलाकर 7 रंग बिखरते हैं । उन सभी रंगों का क्रम इस प्रकार है-
V | Violet | बैंगनी |
I | Indigo | नील |
B | Blue | नीला |
G | Green | हरा |
Y | Yellow | पीला |
O | Orange | नारंगी |
R | Red | लाल |
इस क्रम के अनुसार जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं वेवलेंथ भी बढ़ता है । इस क्रम में बैंगनी रंग का वेवलेंथ सबसे कम है और लाल रंग का वेवलेंथ सबसे ज्यादा है । वहीं दूसरी ओर साइंस के मुताबिक जिसका वेवलेंथ कम होता है वह ज्यादा फैलता है । यही कारण है कि लाल रंग सर्दियों में फॉग के कारण दूर से नजर आ जाता है वहीं दूसरी ओर आसमान में धूल के कारण सबसे ज्यादा फैलने वाले रंग या तो बैंगनी है या फिर नीला (जिनकी वेवलेंथ बहुत ही कम है) ।
पृथ्वी से हमें आसमान केवल लाल और बैंगनी रंग का ही क्यों दिखाई पड़ता है?
ऐसा नहीं है कि सूरज की किरणें अलग-अलग रंगों में नहीं फैलती । यदि आप एक टॉर्च की लाइट को प्रिज्म से रिफ्लेक्ट करेंगे तो वह सात रंगों में फैल जाएगा जिसका क्रम ऊपर दे रखा है।
कहने को आसमान की किरने अलग-अलग रंगों में फैलती है जिनमें लाल, हरा, नीला, पीला, नारंगी, आदि बहुत से रंग है । लेकिन आसमान में मौजूद धूल और कणों के आकार कम होते हैं जिनमें से केवल नीला और बैंगनी रंग ही ज्यादा अच्छे से फैल सकता है क्योंकि उनकी वेवलेंथ कम होती है । यही कारण है कि हमें आसमान नीला और बैंगनी दिखाई पड़ता है ।
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा अर्थात आसमान नीला क्यों होता है इससे जुड़े आपके प्रश्नों का उत्तर भी मिल चुका होगा । हम यह भी आशा करते हैं कि अब तक आपको इस चीज का सुझाव भी मिल गया होगा कि जैसे-जैसे पृथ्वी सूरज की ओर चक्कर लगाती है और अपनी दिशा बदलती है वैसे-वैसे सूर्य उदय होता है और सूर्यास्त होता है जबकि सूर्य अपनी जगह पर स्थिर है ।
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